विज्ञान क्या कहता है आखिर किस चीज से बनी होती है ऊर्जा?

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ऊर्जा विज्ञान क्या कहता है आखिर किस चीज से बनी होती है ऊर्जा?

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ऊर्जा (ENERGY)

ऊर्जा (Energy) शब्द तो बार बार सुना होगा लेकिन सामान्य तौर पर इससे यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि ऊर्जा वास्तव में होती है क्या है और किससे चीज से ये बनती है लेकिन विज्ञान (Science) के अनुसार ऊर्जा वास्तव में किसी से बनी हुई नहीं होती है ना तो यह कोई किसी भी प्रकार की वस्तु होती है ना ही कोई पदार्थ होती है।

यह केवल कार्य करने की क्षमता (Capacity to do Work) एवं शक्ति होती है और क्षमताओं की विविधता के कारण ही यह कई प्रकार की होती है। ऊर्जा (Energy) के  कई प्रकार के रूपो के कारण आम लोगों के मन में सवाल उत्पन्न करते हैं कि आखिर ऊर्जा बनती किस चीज है।

ऊर्जा किसी वस्तु या पदार्थ से बनी नहीं होती बल्कि एक तरह की क्षमता एवं शक्ति होती है। यह कई तरह के कार्य करने की क्षमता होती है जिसके कारण इसके भी कई प्रकार होते हैं। ऊर्जा केवल पदार्थ से भिन्न होती है और पदार्थ को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।

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सामान्य जीवन में भी ऊर्जा (Energy) की बहुत सी बातें होती रहती हैं। ऊर्जा केवल विज्ञान का शब्द नहीं है। ऊर्जा के बारे में कहा जाता है कि उसके द्वारा ही सबकुछ चलायमान हो पाता है। इंसानों को चलने फिरने और अन्य दूसरे काम करने के लिए ऊर्जा (energy) की आवश्यकता होती है। गाड़ियां भी ऊर्जा ऊर्जा के द्वारा चलती हैं।

बिजली भी एक प्रकार की खुद एक ऊर्जा है। तो वहीं प्रकाश को भी ऊर्जा के नाम से जाना जाता है। ऐसे में मन में एक सवाल पैदा होता है कि आखिर यह ऊर्जा होती है क्या और किससे कैसे बनती (what energy is made of) है।

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आइये ऊर्जा के बारे में जानने का प्रयास करते है कि इस बारे में विज्ञान क्या कहता है।( What does Science Say)?

तो फिर क्या है ऊर्जा

वैज्ञानिकों के लिए ऊर्जा कोई किसी भी प्रकार की वस्तु या पदार्थ नहीं है इसलिए वास्तव में वह किसी से भी नहीं बनी हैं जैसे जिस प्रकार से ईंटों से घर बनता है, कोशिकाओं द्वारा से शरीर बनते हैं, आदि ऊर्जा एक प्रकार की कार्य करने की शक्ति है, ऐसी क्षमता एवं शक्ति जिसके द्वारा कुछ किया जा सके।

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 जिस तरह चित्रकार में चित्र बनाने की जो क्षमता होती है, संगीतज्ञ में संगीत बजाने की  जो क्षमता होती है उसी की तरह ऊर्जा वास्तव में कार्य करने की शक्ति एवं क्षमता को ही ऊर्जा कहते हैं।

कार्य, बल और ऊर्जा

कोई कार्य तभी होता है जब उस पर किसी प्रकार का बल (Forse )लगा होता है या लगाया जाता है, जैसे की खींचना (pull) या धक्का (push) देना दो तरह के बल हैं जिसके द्वारा ही कोई वस्तु किसी दिशा में गतिमान हो पाती है।

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बल किसी एक दिशा में जा रही वस्तु की दिशा का भी परिवर्तित करने सहायक बन सकता है। जब हम किसी पत्थर को हवा मे उछालते हैं तो हम अपनी मांसपेशियों की ऊर्जा का उपयोग कर हाथ घुमाकर पत्थर पर जोर लगाकर छोड़ते हैं जिससे वह अपने हाथ द्वारा लगाये गये बल के कारण पत्थर में आ जाती है और पत्थर आगे की ओर चला जाता है।

विज्ञान क्या कहता है आखिर किस चीज से बनी होती है ऊर्जा?
विज्ञान क्या कहता है आखिर किस चीज से बनी होती है ऊर्जा?

ऊर्जा के प्रकार और बदलाव

लेकिन कार्य करने के कई तरह के तरीके होते हैं इसलिए कई प्रकार की ऊर्जाएं भी होती हैं। हवा में घूमते पत्थर में ऊर्जा होती है हवा में घूमते पत्थर में जो ऊर्जा होती है वह गतिज ऊर्जा होती है जिसके द्वारा कोई वस्तु गतिमान होती है। स्थैतिक ऊर्जा दूसरी वस्तुओं की तुलना में किसी वस्तु की गुरुत्व के विपरीत अधिक ऊंचाई पर पहुंचाने में सहायक होती है।

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 जब कोई पत्थर हवा में किसी ऊंचाई से निचले तल से केवल छोड़ा जाता है तो उसमें विराजमान ऊर्जा उसकी स्थैतिक ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है और जब वह पत्थर तेजी से गिर कर जमीन के तल से टकरा जाता है तो वह उसकी गति की ऊर्जा जमीन को विकृत करने में खर्चा हो जाती है।

ऊर्जा (Energy) के पवन ऊर्जा , सौर ऊर्जा या फिर विद्युत ऊर्जा ,आदि जैसे कई प्रकार होते हैं।

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ऊर्जा और पदार्थ

यहां ऊर्जा के बारे में एक और बाद हम हो जाती है उपरोक्त सभी उदाहरणों में हमने किसी वस्तु की बात की जो वास्तव में पदार्थ द्वारा बनती है पदार्थ और ऊर्जा के बीच का संबंध  वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने बताया है।

 उनकी E = m c ² का सूत्र पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ था। सूत्र में E ऊर्जा , m द्रव्यमान (यानी पदार्थ की मात्रा, जिसे कई बार भार के नाम से जानते है ) और c प्रकाश की गति को प्रदर्शित करता है।

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क्या कहता है आइंस्टीन का सूत्र

आइंस्टीन के इस सूत्र का मतलब है कि ऊर्जा का मान एक संख्या और द्रव्यमान के मध्य गुणन होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है क्या कि ऊर्जा कुछ ना कुछ या किसी ना किसी चीज से तो बना ही होना चाहिये लेकिन ऐसा संभव नहीं है।

क्योंकि कई मामलों में बिना द्रव्यमान की ऊर्जा भी कई बार होती है। इसका अच्छा उदाहरण प्रकाश है। लेकिन उसके सौर पैनल में पकड़ कर हम उसे बिजली में परिवर्तित कर सकते हैं।

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अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) के प्रकाश, भार और ऊर्जा का समीकरण बहुत कुछ बताता है।

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प्रकाश के कण और ऊर्जा

हम जानते है कि प्रकाश का भले ही द्रव्यमान नहीं होता है लेकिन वह बहुत ही छोटे महीन कणों से मिलकर बना होता है जिन्हें फोटोन नाम जानते हैं। फोटोन स्वयं का भी द्रव्यमान या भार नहीं होता है।

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लेकिन यदि ऊर्जा भार होती है या वह भार से बनी होती है तो फिर प्रकाश की कोई किसी भी प्रकार की ऊर्जा नहीं होती है जिससे सौर ऊर्जा एक रहस्य ही बनकर रह गई।

 इसका मतलब यही हुआ है कि भले ही ऊर्जा का भार नहीं होता, लेकिन उसका आवेग होता है जिससे उसमें अधिक कार्य करने की क्षमता आती है। इसका मतलब ऊर्जा का द्रव्यमान और आवेग एक दूसरे से सम्बंधित है।

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वास्तव  में आइंस्टीन का सूत्र एक बहुत ही जटिल समीकरण है और उनके द्वारा दिये गये सूत्र का सरलतम और विशेष रूप है। एक अहम बात ये है कि प्रकाश का वेग बहुत ही अधिक है और सूत्र से साफ है कि छोटा सा पदार्थ भी बहुत भारी मात्रा में ऊर्जा रखता है।

प्रकाश एक सेकेंड में 30 करोड़ मीटर का रास्ता तय कर लेता है। एक किलोग्राम के भार में 9 क्विंटल टिलियन जूल की ऊर्जा उपलब्ध होती है। इसमें कुल मिला कर यह ऊर्जा की बहुत ही बड़ी क्षमता होती है। इसी कारण से परमाणु बम भी काम करते हैं जिनमें पदार्थ ऊर्जा में परिवर्तित होता है।

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