4-डे वर्किंग से बढ़ जाएगी कंपनियों की कमाई! कर्मचारी भी भूल जाएंगे करना वर्क फ्रॉम होम, एक रिसर्च में चौंकाने वाला हुआ खुलासा

4-डे वर्किंग से बढ़ जाएगी कंपनियों की कमाई! कर्मचारी भी भूल जाएंगे करना वर्क फ्रॉम होम, एक रिसर्च में चौंकाने वाला हुआ खुलासा

हफ्ते में 4 दिन काम को लेकर हुए ट्रायल के शुरुआती नवीनतम परिणामों में कंपनी और कर्मचारी दोनों के लिए जबरदस्त परिणाम देखने को मिले हैं। इसमें भाग लेने वाली कुछ कंपनियों ने इसकी नई प्रणाली को स्थाई रूप से अपना लिया।4-डे वर्क सप्ताह को लेकर शोध का कार्य अभी जारी रहेगा ।

कंपनियों ने शोध के इस ट्रायल को औसतन 10 में से 7.5 अंक दिये हैं। इससे लोगों की कार्य क्षमता प्रणाली और कंपनियों के रेवेन्यू में बड़ोंत्तरी हुई है। नये कार्य सप्ताह ट्रायल के दौरान लोगों ने छुट्टियां लेना भी कम कर दिया।

 हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी के फॉर्मूले को लेकर  पूरी दुनिया में बहस शुरू हो चुकी है। 4-डे वर्किंग पर किये गये एक बड़े शोध के परिणाम हाल ही में आये हैं और इसने सबको चौकाते हुये आश्चर्य कर दिया है।

4-डे वर्किंग

 इसमें बताया गया है कि कंपनियां सप्‍ताह में 4 वर्किंग डेज को अपनायें रखें तो उनकी कमाई में बड़ोंत्तरी होगी इससे कर्मचारियों की उत्‍पादक करने की कार्य क्षमता बढ़ेगी और वे अधिक मन लगाकर काम कर सकेंगे। शोध के ट्रायल में वर्क फ्रॉम होम के बाद कर्मचारियों को वापिस ऑफिस बुलाने की उलझन का भी हल बताया गया है।

यह 4-डे वर्किंग वीक को लेकर पहली इतने बड़े स्तर का ट्रायल का शोध था। इसमें 33 कंपनियों ने भाग लिया और इसके परिणाम मंगलवार को सबके सामने आये थे। शोध के परिणामों में पाया गया कि नये वर्क वीक में कर्मचारियों की उत्पादकता की बृद्धि बढ़ी, अवकाश घटा, और कंपनियों का टर्न ओवर बढ़ गया है।

साथ ही जो कर्मचारी इस शोध के  तहत काम नहीं कर रहे थे  तो उन्होंने घर से काम की बजाय ऑफिस में जाकर  काम में अधिक दिलचस्पी दिखाई। कंपनियों इस नये शोध प्रयोग को 10 में से 9 अंक दिये।

4-डे वर्किंग से बढ़ जाएगी कंपनियों की कमाई
4-डे वर्किंग से बढ़ जाएगी कंपनियों की कमाई

2-डे वीकेंड हुआ पुराना

इस शोध की मुख्य शोधकर्ता जूलियट शोर ने कहा है कि अब 2-डे वीकेंड से कर्मचारीयों का काम नहीं चल पा रहा है। उन्होंने कहा, “कई देशों में 1938 में बना वर्क वीक अब भी चल रहा है और ये मौजूदा समय की जीवन शैली से मेल नहीं खाता है।

 जो लोग नौकरी पेशावर हैं उनकी सेहत को ध्यान में रखते हुये यह बहुत आवश्यक है कि वर्क वीक के पुराने स्ट्रक्चर में बदलाव किये जाएं”। जूलियट शोर बॉस्टन कॉलेज में अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री प्रोफेसर हैं।

कहां-कहां हुआ ट्रायल

इस दिशा में अभी कई शोध कार्य होने बाकि हैं और ताजा डाटा इस शोध श्रृंखला के शुरुआती परिणामों के आधार पर तैयार किया गया है। इसे न्यूजीलैंड की एक एजेंसी द्वारा संचालित किया जा रहा है। यह लगभग 6 महीने का पायलट प्रोजेक्ट है।

यूएस और कनाडा में शोध का ट्रायल पिछले महीने शुरू हुआ था। वहीं, दक्षिण अफ्रीकी और यूरोपीयन कंपनियों में शोध का ट्रायल आगामी फरवरी से शुरू होगा। जैसे-जैसे शोध का ट्रायल आगे बढ़ेगा शोधकर्ता द्वारा प्राप्त अपने डाटा को उसके अनुरूप बनाते जाएंगे और देखेंगे कि यह कंपनियों के लिए कितना कारगर सावित होता है।

शुरुआती शोध के ट्रायल का डाटा अमेरिका, आयरलैंड और ऑस्ट्रेलिया में लिया गया। इसमें लगभग 969 कमर्चारी शामिल थे। 10 महीने तक उनके सप्ताह में काम करने के दिन को घटाया गया और वेतन में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की।

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कंपनियों की प्रतिक्रिया

कर्मचारियों के लिए नया वर्क वीक बेहतर दिखाई देता है। लेकिन क्या कंपनियां भी इससे सहमत हैं। इसका जवाब भी शोध ट्रायल में मिला है। कंपनियों का राजस्व शोध के ट्रायल के दौरान 8 फीसदी बढ़ा है। वहीं, पिछले साल के समान समय के मुकाबले इसमें 38 फीसदी की औसत से बढ़त देखने को मिली।

 कंपनियों ने इस शोध के इस ट्रायल को 10 में से औसतन 7.5 अंक दिये जो इस शोध के ट्रायल के कंपनियों पर प्रभाव को सकारात्मक दिखााता है। कर्मचारियों की छुट्टी लेने की स्थिति में भी गिरावट देखने को मिली। इसके अलावा इस्तीफों लेने की संख्या कुछ घटी जबकि नई भर्तियां थोड़ी बृद्धि हुई है।

क्राउडफंडिंग कंपनी किक स्टार्टअर के सीटीओ जॉन लीलेंड ने कहा कि कर्मचारियों की काम के प्रति इतना लगाव एवं प्रतिबद्धता इतनी अधिक पहले कभी नहीं देखी गई। उन्होंने कहा कि कंपनी ने सितंबर में पायलट प्रोजेक्ट ट्रायल शुरू किया था और  4-डे वर्किंग वीक को अब स्थाई रुप से अपना लिया है।