Poem on Teacher in Hindi | Teachers Day Poem in Hindi | शिक्षक पर कविता

Poem on Teacher in Hindi | Teachers Day Poem in Hindi | शिक्षक पर कविता

शिक्षक पर कविता: दोस्तों आज हम आप लोगों को शिक्षक के सम्मान में कुछ कविता बताएंगे जैसे कि हम लोग को पता है शिक्षक का स्थान एक महत्वपूर्ण स्थान होता है यह हमें सही गलत के पहचान कराते हैं समाज निर्माण में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है छात्रों को उनके अच्छे भविष्य के लिए पूरे अच्छे ज्ञान देते हैं ताकि उनका भविष्य प्रकाश से जगमगा आ जाए शिक्षकों के सम्मान के लिए हम लोगों ने 1 तारीख पक्का किया है जो तारीख 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है के जीवन में माता-पिता के बाद शिक्षक ही एक ऐसा व्यक्ति है जो हमें सहीऔर गलत का पहचान करते है तो आइए हम शिक्षक दिवस के शिक्षकों के लिए कुछ कविता विस्तार में बताते हैं जो निम्नलिखित है

Poem on Teacher in Hindi | आदर्शों की मिसाल बनकर

आदर्शों की मिसाल बनकर,
बाल जीवन संवारता शिक्षक |

सदाबहार फूल-सा खिलकर,
महकता और महकाता शिक्षक ||

नित नए प्रेरक आयाम लेकर
हर पल भव्य बनाता शिक्षक |

संचित ज्ञान का धन हमें देकर,
खुशियां खूब मनाता शिक्षक ||

पाप व लालच से डरने की,
धार्मिक सीख सिखाता शिक्षक |

देश के लिए मर मिटने की,
बलिदानी राह दिखाता शिक्षक ||

प्रकाशपुंज का आधार बनकर,
कर्तव्य अपना निभाता शिक्षक |

प्रेम सरिता की बनकर धारा,
नैया पार लगाता शिक्षक ||

जीवन की रह दिखाते है शिक्षक

गिरते है जब हम, तो उठाते है शिक्षक

जीवन की रह दिखाते है शिक्षक |

अँधेरे यहाँ पर बनकर दीपक,

जीवन को रोशन करते है शिक्षक |

कभी नन्ही आँखों मैं नमी जो होती,

तो अच्छे दोस्त बनकर हमे हसांते है शिक्षक |

झटकती है दुनिया हाथ कभी जब,

तो झटपट हाथ बढ़ाते है शिक्षक |

जीवन डगर है जीवन समर है

जीवन संघर्ष सिखाते है शिक्षक |

देकर अपनी ज्ञान की पूंजी,

हमे योग्य बनाते है शिक्षक |

इस देश और दुनिया के लिये,

एक अच्छा समाज बनाते है शिक्षक |

नहीं हो कही अशांति,

बस यही एक पैगाम फैलते है शिक्षक |

गिरते है जब हम, तो उठाते है शिक्षक ||

सर को कैसे याद पहाड़े

सर को कैसे याद पहाड़े?
सर को कैसे याद गणित?
यह सोचती है दीपाली
यही सोचता है सुमित।।

सर को याद पूरी भूगोल
कैसे पता कि पृथ्वी गोल?
मोटी किताबें वे पढ़ जाते?
हम तो थोड़े में थक जाते।।

तभी बोला यह गोपाल
जिसके बड़े-बड़े थे बाल
सर भी कभी तो कच्चे थे
हम जैसे ही बच्चे थे।।

पढ़-लिखकर सब हुआ कमाल
यूँ ही सीखे सभी सवाल
सचमुच के जादूगर हैं
इसीलिए तो वो सर हैं।।

बच्चों के भविष्य को

बच्चों के भविष्य को,

शिक्षक सजाता है।

ज्ञान के प्रकाश को,

शिक्षक जलाता है।

सही-गलत के फर्क को,

शिक्षक बताता है।

शिष्यों को सही शिक्षा,

शिक्षक ही दे पाता है।

ऊंचे शिखर पर शिष्य को,

शिक्षक ही चढ़ाता है।

बच्चों के भविष्य में,

और निखार लाता है।

शिष्य को कभी शिक्षक,

नहीं ढाल बनाता है।

असफल होते जब कार्य में,

अफसोस जताता है।

शिक्षक ही समाज का,

उत्तम जो ज्ञाता है।

दीपक सा जलता है गुरु

दीपक सा जलता है गुरु
फैलाने ज्ञान का प्रकाश
न भूख उसे किसी दौलत की
न कोई लालच न आस

उसे चाहिए, हमारी उपलब्धिेयां
उंचाईयां,
जहां हम जब खड़े होकर
उनकी तरफ देखें पलटकर
तो गौरव से उठ जाए सर उनका
हो जाए सीना चौड़ा

हर वक्त साथ चलता है गुरु
करता हममें गुणों की तलाश
फिर तराशता है शिद्दत से
और बना देता है सबसे खास

उसे नहीं चाहिए कोई वाहवाही
बस रोकता है वह गुणों की तबाही
और सहेजता है हममें
एक नेक और काबिल इंसान को

Poem on Teacher in Hindi

विद्या देते दान गुरूजी

विद्या देते दान गुरूजी ।
हर लेते अज्ञान गुरूजी ॥

अक्षर अक्षर हमें सिखाते ।
शब्द शब्द का अर्थ बताते ।
कभी प्यार से कभी डाँट से,
हमको देते ज्ञान गुरूजी ॥

जोड़ घटाना गुणा बताते ।
प्रश्न गणित के हल करवाते ॥
हर गलती को ठीक कराते,
पकड़ हमारे कान गुरूजी ॥

धरती का भूगोल बताते ।
इतिहासों की कथा सुनाते ॥
क्या कब क्यों कैसे होता है,
समझाते विज्ञान गुरूजी ॥

खेल खिलाते गीत गवाते ।
कभी पढ़ाते कभी लिखाते ॥
अच्छे और बुरे की हमको,
करवाते पहचान गुरूजी ॥

गुरु को प्रणाम

5 सितंबर शिक्षक दिवस पर,
करें गुरू का गान।
ज्ञान चक्षु को खोल हमारे,
मिटा दिया अज्ञान।।

जला ज्ञान का दीप हमारा,
मार्ग किया आसान।
अंतर्मन को सहला सहला,
गढ़ें नया इंसान।।

गुरू आज्ञा शिरोधार्य हो,
रखें उनका मान।
अपना जीवन धन्य बना लें,
लें उनका वरदान।।

धरती पर ही स्वर्ग बना लें,
गुरू का करके ध्यान।
अर्पित हो गुरू चरणों में जीवन,
ऐसे कर लें काम।।

भेदभाव और ऊंच-नीच का,
रहने न दें नाम।
ऐसे गुरु को आज करें ह म,
कोटि-कोटि प्रणाम।

शिक्षा का दीप –

दीप जलाओ शिक्षा का,
घर घर में फैले उजियारा।
अज्ञान खत्म हर कोने से,
ऐसा हो पूर्ण प्रयास हमारा।।

शिक्षा प्रगति की सीढ़ी है,
सुधर जाती कई पीढ़ी है।
ज्ञान का खत्म न खजाना,
चाहे जब इसे आजमाना।।

शिक्षा है अधिकार बताती,
नव चेतन जीवन में लाती।
शिक्षा बन जाता हथियार,
अंध विश्वास पर करे प्रहार।।

शिक्षा हमको सत्य बताता,
नव चेतन हममें ले आता।
मन में जगाता पूर्ण विश्वास,
जीवन है खुशहाल बनाता।।

शिक्षा की लौ जब जलती,
ज्ञान के पट खुल जाते हैं।
चारों तरफ़ हो जाता प्रकाश,
विकास सोपान बन जाते हैं।।

हर बच्चे को ही बचपन में,
पढ़ने लिखने का अधिकार।
दोस्तों संग खूब खेलें व कूदे,
मम्मी पापा का प्यार दुलार।।

गुरु हैं सकल गुणों की खान –

गुरु, पितु, मातु, सुजन, भगवान,
ये पाँचों हैं पूज्य महान।
गुरु का है सर्वोच्च स्थान,
गुरु है सकल गुणों की खान।

कर अज्ञान तिमिर का नाश,
दिखलाता यह ज्ञान-प्रकाश।
रखता गुरु को सदा प्रसन्न,
बनता वही देश सम्पन्न।

कबिरा, तुलसी, संत-गुसाईं,
सबने गुरु की महिमा गाई।
बड़ा चतुर है यह कारीगर,
गढ़ता गाँधी और जवाहर।

आया पावन पाँच-सितम्बर,
श्रद्धापूर्वक हम सब मिलकर।
गुरु की महिमा गावें आज,
शिक्षक-दिवस मनावें आज।

एकलव्य-आरुणि की नाईं,
गुरु के शिष्य बने हम भाई।
देता है गुरु विद्या-दान,
करें सदा इसका सम्मान।

अन्न-वस्त्र-धन दें भरपूर,
गुरु के कष्ट करें हम दूर।
मिल-जुलकर हम शिष्य-सुजान,
करें राष्ट्र का नवनिर्माण।

गुरु पर कविता

कते हे दूर गुरु फुलवाड़ी,
हे गमक आवै केवड़ा के।।

पाँच सखी मिली गेलौं फुलवाड़ी,
हे गमक आवै केवड़ा के।।1।।

इके हे हाथ फूल अलगावै,
हे गमक आवै केवड़ा के।।2।।

फुलवा जे लोढ़ि-लोढ़ि भरलौं चंगेरिया,
हे गमक आवै केवड़ा के।।3।।

संगहू के सखी सब दूर निकललै,
हे गमक आवै केवड़ा के।।4।।

आजू के बटिया लागै छै वियान,
हे गमक आवै केवड़ा के।।5।।

घोड़वा चढ़ल आवै सतगुरु साहब,
हे गमक आवै केवड़ा के।।6।।

धर्मदास यह अलख झूमरा गावै,
हे गमक आवै केवड़ा के।।7।।

लियहो गुरु शरण लगाय,
हे गमक आवै केवड़ा के।।8।।

बच्चन पाठक सलिल –

नालंदा जी उठा है!,,
बीत चुके आठ सौ साल,
विश्व-इतिहास ने पलटे अध्याय,
नए साम्राज्य बने,पुराने ढहे ,

क्रूरता के अनेक उपमान गए गढे ,,
विश्वविद्यालय-नालंदा-था विश्व का सिरमौर ,
कोई और ज्ञान-केंद्र नहीं ,उसके जैसाऔर ,
माँ दश पारमिता की करुणा बरसती थी,

वहां प्रवेश हेतु ,विश्व की आँखें तरसती थीं,
एक आतंकवादी नरपशु ने –
बख़्तयार ख़िलजी था जिसका नाम ,
किया ज्ञानकेंद्र का जिसने काम तमाम,

विश्वविद्यालय में आग लगाई थी,
ज्ञान की संचित राशि जलाई थी,
हे पूर्व राष्ट्रपति ,अब्दुल कलाम ,
है आपको असंख्य प्रणाम,
आपही का प्रस्ताव था,

नालंदा का हो पुनरुद्धार ,
आपका चिंतन था मानवता को अमूल्य उपहार ,
आज पुनः ज्ञान का सूर्य खिला है,
नालंदा फिर जी उठा है,

सदियों तक नालंदा -सोमनाथ की ,
आती रहेगी याद ,
इतिहास में अमर रहेंगे राष्ट्रपति दवय ,
अब्दुल कलाम और प्रसाद ,,

ज्ञान की बातें

ज्ञान की बातें जो सिखलाता,
गुरु हमारा वह कहलाता।
ज्ञान दीप की ज्योति देकर,
अंधकार को दूर भगाता।

संस्कार सिखलाए गुरु जी,
बड़ो का मान बतलाए गुरुजी।
अनुशासन भी वो सिखलाते,
त्याग समर्पण वह बतलाते।

सबको ज्ञान बाँटते जाते,
अपना ज्ञान बढ़ाते जाते।
उनकी ताकत होती कलम,
कलम नहीं किसी से कम।

विद्यालय है घर जैसा,
हम सब उनके बच्चे जैसे।
एक साथ रहना बतलाए,
सबसे स्नेह करना सिखलाए।

उनके चरण कमल को मैं,
सत-सत नमन करती जाऊँ।
ज्ञान दीप की ज्योति लेकर,
उनका मैं गौरव बन जाऊँ।

गुरु चरण में स्वर्ण बसे है

गुरु चरण में स्वर्ण बसे है
गुरु शरण है धाम हमारे
गुरु आशीष जांकू मिल जाए
जन्म जन्म के भाग सुधारें!

गुरु आदेश मस्तक घर रखो
गुरु सेवा में रैन-दिन जागो
मुख से गुरु शिक्षा गायन हो
गुरु की आज्ञा का पालन हो

मैं करूं चरण धूलि को धारण
चरणों का अमृत पान करूं
शीश झुका कर सहज भाव से
उनके चरणों को प्रणाम करूं

गुरु के कर सर पर जाएं
मैं भवसागर पार जाऊं
वंदन करो गुरु की दिव्यता
मैं कठिन परीक्षा पार पाउं

गुरुवाणी को निज दोहराऊं
गुरु की महिमा नित नित गाऊ
मोहे मिले चाकरी गुरु सेवा की
गुरु को पूज के मैं तर जाऊ..!

शिक्षा रूपी वरदान देकर

शिक्षा रूपी वरदान देकर
ज्ञान का स्वरूप संजोकर
डांट, प्यार, फटकार से
अज्ञानता का कीचड़ धोकर
जीवन का मर्म सिखाता है
वह गुरु ही तो कहलाता है

करुणा, दया, सहनशीलता है
क्रोध, भय को लीलता हो
चरणों के स्पर्श मात्र से जिसके
मूर्छित कमल भी खिल जाता है
वह गुरु ही तो कहलाता है

शून्य से शिखर बना दे
अनंत का रहस्य सिखला दे
कृपा आशीर्वाद है उनका कुछ ऐसा
जो जीवन को साकार बनाता है
वह गुरु ही तो कहलाता है

पूजनीय है देवो से पहले
चिंता दुख सारे वह हर ले
जीवन के इस कठिन पथ पर
क्या हम भी इनका हाथ पकड़ ले
हां हां यह गुरु ही तो है..!

स्वतंत्रता दिवस पर स्टेटस (Independence Day Status In Hindi)- 15 अगस्त पर स्टेटस देखें

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