Bageshwar Dham: वैरागी कैसे होते है, बता दिया पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने वैरागी का अर्थ 

Bageshwar Dham: वैरागी कैसे होते है, बता दिया पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने वैरागी का अर्थ 

पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी की की हुई बातें अक्सर लोग ध्यान में रखते हैं वह अक्सर अपनी कथा प्रवचन के दौरान लोगों को उनके जीवन से संबंधित अनेक जीवो में बातें बताया करते हैं। जिससे लोगों को सत्संग की प्राप्ति होती है इससे होने से सत्संग की प्राप्ति ही नहीं बल्कि जीवन को पार करने का एक नया विचार भी प्राप्त होता है।

इसी तरह पंडित जीन कृष्ण शास्त्री ने अपनी कथा के दौरान एक मुख्य बात और मुख्य बात भी बताई, जिसमें उन्होंने लोगों को समझाया की वैरागी कैसे होते हैं। सही शब्दों में बैरागी का अर्थ क्या है। असल मे वैरागी कौन समझिये पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के शब्दों मे, चलिए नीचे की तरफ बताते है आपको पूरी जानकारी को।

वैरागी कौन होते है

पंडित धीरेंद्र कृष्ण महाराज ने अपनी कथा के दौरान बैरागी का अर्थ बताते हुए कहा था की हमारी नजर में घर को त्यागने वाला बैरागी नहीं है, और ना ही हमारी नजर में कपड़ों को त्यागने वाला वैरागी नहीं है बल्कि मेरी दृष्टि मे सच्चा और अच्छा वैरागी वही है जिसने अपने बुरे कर्मो से वैराग्य धारण कर लिया उसी को हम वैरागी मानते है और सही शब्दों मे वही वैराग्य है।

वैरागी कैसे होते है, बता दिया पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने

कौन नहीं है वैरागी – पंडित शास्त्री

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि ऐसे व्यक्ति बैरागी नहीं होते हैं, जो यह कार्य करते है।

  • अपने स्वयं के घर को त्याग देते है और किसी दूसरे के घर मे जाकर संत बनके रहने लगते है, वह वैरागी नहीं होते है।
  • ऐसे लोग भी वैरागी नहीं होते है जो सिर्फ अपने कपड़ो का त्याग कर देते है।
  • जो अपने घर को छोड़ कर कुछ वर्षो के लिये ही वैरागी बन जाते है, वह वैरागी नहीं होते है।

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