Bageshwar Dham: अखंड भारत बनने मे शास्त्र और शस्त्र की क्या भूमिका है, जानिए पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी भारत के प्रसिद्ध संतो मे अब एक प्रमुख संत बन गए है उनसे किसी ना किसी के द्वारा अक्सर ऐसे प्रश्न किये जाते है जो बहुत ही कठिन होते है,इसलिए वह अब अपनी हर कथा के दौरान एक सभा लगाते है उस सभा सभी बड़े अधिकारियो से लेकर पूरी जनता शामिल होती है,जिसमे केवल उनसे प्रश्न ही किये
और बागेश्वर सरकार उनका जवाब देते है ऐसे ही जबलपुर मे सवाल और जवाब कार्यक्रम मे एक व्यक्ति ने उनसे पूछा की आप जिस अखंड भारत की नीव भर रहे है उसमे शस्त्र और शास्त्र की क्या भूमिका रहेगी, जिसका जवाब उन्होंने इस प्रकार दिया।
अखंड भारत मे शस्त्र और शास्त्र की भूमिका – पंडित धीरेन्द्र शास्त्री
जब उनसे पूछा गया की आपके अखंड भारत मे शस्त्र और शास्त्र की क्या भूमिका रहेगी तो इस पर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा की शस्त्र और शास्त्र हमारा सबसे अधिक प्रिय कांसेप्ट है इस पर बात करना हम हमेशा पसंद करते है धीरेन्द्र शास्त्री जी कहते है की जो शास्त्र से नहीं माने वह शस्त्र से मानेगा मतलब की जो भी मला से नहीं समझें उनके लिए भाला की व्यवस्था होनी चाहिए
और मै इसके समर्थन मे हू क्यों की आत्मरक्षा करना भारतीय संविधान मे भी लिखा है, इसलिए तो भारत सरकार भी शस्त्र का लाइसेंस देती है और हमें मला से हिन्दू राष्ट्र बनाना है और जब नहीं बन पाए तो भाला से आत्मरक्षा करनी है।
उदाहरण से समझायी पूरी भूमिका
जो की उस व्यक्ति का मुख्य प्रश्न था की शस्त्र और शास्त्र की क्या भूमिका है तो इस पर गुरूजी ने उदाहरण देते हुए कहा की जिस प्रकार एक चाय को बनाने मे शक्कर और पत्ती की भूमिका होती है ठीक उसी प्रकार हिन्दू राष्ट्र को बनाने मे शस्त्र और शास्त्र की भूमिका है।
गुरूजी ने बताया शस्त्र और शास्त्र मे अंतर
गुरूजी ने कहा की शस्त्र और शास्त्र मे सिर्फ एक मात्रा का अंतर होता है अगर शास्त्र से एक डंडा या मात्रा हटा दो तो वह शास्त्र हो जाता है और अगर शस्त्र मे डंडा जोड़ दो तो वह शास्त्र बन जाता है इसका मतलब है की जो शस्त्र धर्म के लिए उठाया जाता है वह शस्त्र भी शास्त्र बन जाता है,इसलिए हिन्दू अखंड भारत बनाने मे शस्त्र और शास्त्र दोनों की आवश्यकता है।
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