वहाँ चंद्रयान उतरेगा चांद और तो यहाँ अब सूर्ययान के लिए उड़ान भरेगा एक और राकेट

वहाँ चंद्रयान उतरेगा चांद और तो यहाँ अब सूर्ययान के लिए उड़ान भरेगा एक और राकेट

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी कि इसरो ने मिशन मून के बाद अब मिशन सूर्य पर भी अपना निशाना साथ लिया है। इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन अब चांद पर भी अपना एक यंत्र भेजने के लिए तैयार हो गया है जिसका नाम आदित्य L-1 बताया जा रहा है। इसरो की तरफ से सूर्य की तरफ भेजा जाने वाला यह पहला बड़ा यंत्र होगा, इस बात की इसरो ने जानकारी पहले ही दे दी इसे जल्द ही आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लांच किया जाएगा। हालांकि यह किस दिनांक को सूर्य की तरफ भेजा जाएगा इसकी पूर्ण उसकी अभी इसरो ने नहीं की है, इस बात की कोई निश्चित तारीख अभी इसरो की तरफ से नहीं दी गई है। लेकिन जल्दी से जल्दी इसके लांच होने की उम्मीद जताई जा रही है।

 लेकिन यह बात निश्चित है कि जब तक यहां चंद्रयान-3 जो चांद पर 23 अगस्त को लैंड होने वाला है, इसके बाद ही इसरो की तरफ से सूर्ययान को भेजा जायेगा।

3 लाख किलोमीटर के बाद 15 लाख किलोमीटर दूर पहुंचे इसरो

अभी हाल ही में 14 जुलाई को इसरो की तरफ से जो चंद्रयान-3 लॉन्च किया है उसकी पृथ्वी से दूरी करीब 3 लाख किलोमीटर है। लेकिन अब इसरो यही नहीं रुकने वाला है अब 3 लाख किलोमीटर के बाद इसरो का यह यंत्र पृथ्वी की सतह से करीब 15 लाख किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष मेंस्थापित होने जा रहा है। इस बात की ऑफिशल अनाउंसमेंट इसरो ने खुद की है।

जानकारी के लिए हम आपको बता दे की इसरो ने कहा है कि सूर्ययान को पृथ्वी और सूर्य के लैंग्रेज पॉइंट पर रखा जाना है। जो पृथ्वी की सतह से करीब 15 लाख किलोमीटर दूरी पर है, इस लैंग्रेज पॉइंट पर से आदित्य L-1 पृथ्वी और सूर्य के बीच की आकर्षक और प्रतिकर्षण बल को पता निकाल सकेगा

वहाँ चंद्रयान उतरेगा चांद और तो यहाँ अब सूर्ययान के लिए उड़ान भरेगा एक और राकेट

मिशन सूर्ययान के फायदे

सूर्ययान का आदित्य L-1 लेंग्रेज पॉइंट् पर स्थित रहेगा जो सूरज मे होने वाले बदलाव को समझ सके, सूरज मे होव वाले एसर्फ़ीयमास को समझ सकेगा। आदित्य L-1 मे चार पेलोड रहेंगे जो सालो तक काम करेंगे।

इतना ही नहीं अगर सूर्ययान सफल होता है तो यह सूर्य के वातावरण को भी समझ सकता है और उसके चारो तरफ होने वाली घटनाओ को भी देख सकता है। इसके अलावा अनेक ऐसी जानकारी सूर्ययान से मिल सकती है जिससे इसरो को आंगे चल कर और दूसरे यन्त्र सूर्य के पासवर्ड भेजनें मे मदद मिल सकती है।

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