Bageshwar Dham: विज्ञान जहाँ शून्य होता है अध्यात्म वहाँ से प्रारम्भ होता है, जानिए पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार

Bageshwar Dham:विज्ञान जहाँ शून्य होता है,अध्यात्म वहाँ से प्रारम्भ होता है। जानिए पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार

Bageshwar Dham: बागेश्वर सरकार का नाम आज हर जगह एक चर्चा एक का विषय बना हुआ, उनके द्वारा लगाये गए दिव्य दरबार को देखने दूर- दूर से लोग बागेश्वर धाम आते है और अर्जी लगाते है लेकिन अब गुरुदेव जी महाराज हर समय बागेश्वर धाम मे उपस्थित नहीं रह पाते है इसलिए वह जहाँ भी कथा करने के लिये जाते है वहाँ पर भी कम से कम 2 दिन का दिव्य दरबार बिना टोकन के लगाते है।

इस बार टीकमगढ़ मे हुयी राम कथा मे धीरेन्द्र शास्त्री जी दिव्य दरबार लगाया, जहाँ पर मुख्य अथिति के रूप मे वैज्ञानिक, वकील, पायलेट,डॉक्टर और समाजसेवीयों को प्रश्नउत्तरीे के लिये भी बुलाया।

Bageshwar Dham: शिक्षक ने किया प्रश्न 

वही पर विशिष्ट अतिथि के रूप मे शहर के एक शिक्षक भी मौजूद थे। शिक्षक ने गुरूजी से प्रश्न किया किया कि अगर हमें एक समृद्ध भारत बनाना है तो इन तीनो के बीच मे सनातन, विज्ञान और संविधान ये जो गेफ आ गया है, आप ऐसा कोई उपाय बताये जिससे हम तीनो के साथ लोगों के मन ये बात समझा पाए कि ये तीनो सनातन, विज्ञान और संविधान एक ही है ऐसा कोई उपाय आप बताइए जिससे ये अंतर ख़त्म हो जाये।

Bageshwar Dham: जानिए क्या कहा शास्त्री जी ने 

इस सवाल का जवाब देने से पहले गुरूजी ने प्रश्न के लिये सबसे तालिया बजवाई, इसके बाद गुरूजी ने कहा कि सनातन धर्म, विज्ञान और संविधान ये तीनो का उदभव सनातन धर्म से हुआ है। गुरुदेव जी महाराज ने तीन उदाहरण के माध्यम से बताया कि जहाँ विज्ञान शून्य होता है वहाँ से सनातन प्रारम्भ होता है,चलिए आपको लेकिन चलते उन तीनो उदाहरण कि तरफ।

गुरूजी ने शिक्षक से कहा कि आप विज्ञान मानते है और विज्ञान टीवी बनाई है तो फिर आपको पता होना चाहिए कि विज्ञान ने टीवी आज बनाई है और हमारे सनातन मे 5000 वर्ष पहले संजय ने दिव्य दृष्टि के माध्यम से महाभारत का लाइव प्रसारण महाराज दृष्टराज को दिखाया था।

विज्ञान जहाँ शून्य होता है अध्यात्म वहाँ से प्रारम्भ होता है

दूसरे उदाहरण मे महाराज ने कहा कि आप मानते है कि विज्ञान ने हवाई जहाज बनाई तो हम आपको बता दे कि सनातन वो धर्म है जिसमे पुष्पक विमान कि व्यवस्था त्रेता युग मे राम राज्य मे थी, जिस पर असीमित लोग बैठ भी सकते थे और अपने मन के हिसाब से जितनी गति बढ़ानी होती थी तो वो भी बढ़ जाती थी।

तीसरे उदाहरण मे धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री कहते है कि विज्ञान ने आज जो ये बन्दूके बनायीं है इस तरह कि चीज हमारे सनातन धर्म मे बहुत पहले वाण के रूप मे थी और बन्दूक का निशाना तो कई बार गलत हो जाता है लेकिन हमारे सनातन मे शब्दभेदी जैसे तीर थे।

इस तरह धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने ये बता दिया कि जहाँ विज्ञान शून्य होता है, वहाँ से अध्यात्म शुरू होता है।

Bageshwar Dham: धीरेन्द्र शास्त्री जी ने मीडिया से कहा कि बागेश्वर धाम का या मुझे किसी पार्टी से ना जोड़ा जाये नहीं तो करेंगे विधिक कार्यवाही 

Bageshwar Dham: आखिर क्यों धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को बार – बार राजनीति से जोड़ा जा रहा,क्या कहते है धीरेन्द्र शास्त्री जी राजनैतिक मुद्दों को लेकर