स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय 2023

Emka News
9 Min Read
Swami Vivekananda Quotes hindi

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय 2023

inline single

 स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय 2023 प्रारंभिक जीवन

 स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी सन 1863 में कोलकाता में हुआ था। इनका जन्म एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था। इनके पिताजी कोलकाता के हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध बकील थे एवं उनके पिताजी विद्वान व्यक्ति भी थे और उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था।

 इनकी माताजी धार्मिक, परंपरावादी एवं सांस्कृतिक महिला थी और ग्रहणी महिला थी। उनके बचपन का नाम वीरेंश्वर था और औपचारिक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था एवं इनका पूरा नाम नरेंद्रनाथ विश्वनाथ दत्त था। नरेन्द्रनाथ जी बचपन से ही धार्मिक एवं कुशाग्र व्यक्ति थे

 उनकी माताजी धार्मिक महिला थी। जिसके कारण के घर में  नियम पूर्वक पूजा पाठ रामायण, पुराण महाभारत की कथा का वाचन होता था। माता-पिता के संस्कारों और धार्मिक वातावरण के कारण उनके मन में बचपन से ही ईस्वर को जानने एवं प्राप्त करने की लालसा दिखाई देने लगी थी।

inline single

 वे बचपन से ही लोगों को प्रेरित करने का प्रयास करते थे। और वे हमेशा से ही युवाओं के प्रेणास्त्रोत रहे । इसलिए उनका जन्मदिन प्रत्येक वर्ष युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 स्वामी विवेकानंद की शिक्षा

स्वामी विवेकानंद जी ने सन 1871 में जब स्वामी विवेकानंद जी 8 वर्ष के थे तो उन्होंने ईश्वर चंद विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन  संस्थान में प्रवेश लिया एवं जहाँ वे स्कूल गए। 1877 में उनका परिवार रायपुर चला गया, 1879 में उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया।

inline single

 कोलकाता में उनके परिवार की वापसी के बाद, वह एकमात्र ऐसे विद्यार्थी थे। जिन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में प्रथम श्रेणी में अंक प्राप्त किये। उनकी रूचि, दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला, साहित्य, वेद,उपनिषद, भगवत गीता,रामायण, महाभारत एवं पुराणों के अतिरिक्त अनेक प्रकार के हिंदू शास्त्रों में रूचि थी।

उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत में ज्ञान प्रशिक्षण लिया था और उन्होंने नियमित रूप से खेलो एवं व्यायाम में भाग लिया करते थे। स्वामी विवेकानंद जी ने पश्चिमी दर्शन, पश्चिमी तर्क, और यूरोपीय इतिहास का अध्ययन जनरल असेंबली इन्सिटूशन आरंभ किया।

inline single

1881 में इन्होंने ललित कला की परीक्षा उत्तीर्ण कर और 1884 में कला स्नातक की डिग्री हासिल कर ली। स्वामी विवेकानंद जी ने अनेक लेखकों के कामों का अध्ययन किया।

उन्होंने स्पेंसर की किताब एजुकेशन 1860 का बंगाली में अनुवाद किया। उन्होंने पश्चिम दार्शनिक अध्ययन के साथ-साथ संस्कृत ग्रंथों एवं बंगाली साहित्य को भी सीखा।

inline single

 स्वामी विवेकानंद एवं रामकृष्ण परमहंस

 स्वामी विवेकानंद जी के गुरु का नाम श्री रामकृष्ण परमहंस था। श्री रामकृष्ण परमहंस द्वारा ही स्वामी विवेकानंद जी को धर्म ज्ञान प्राप्त हुआ था।

 कहा जाता है कि विवेकानंद जी ने एक बार श्री रामकृष्ण परमहंस से सवाल करते हुये पूछा था क्या आपने भगवान को देखा है? क्योंकि लोग विवेकानंद जी से अक्सर इस सवाल को पूछा करते थे। और उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं हुआ करता था।

inline single

इसलिए जब श्री रामकृष्ण परमहंस जी से मिले तो उन्होंने यही सवाल श्री रामकृष्ण परमहंस जी से पूछा था। इस सवाल के जवाब में रामकृष्ण परमहंस उत्तर देते हुये कहा कि मैंने भगवान को देखा है। मैं आपके अंदर भगवान को देखता हूँ। भगवान हर किसी के अंदर विराजमान है।

श्री रामकृष्ण परमहंस जी का जवाब सुनकर स्वामी विवेकानंद जी को आत्म संतुष्टि मिली और इस तरह से उनका लगाव श्री रामकृष्ण परमहंस जी की ओर आकर्षित होने लगा और विवेकानंद जी ने श्री रामकृष्ण परमहंस जी को अपना गुरु बना लिया।

inline single
स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय 2023
स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय 2023

 अमेरिका यात्रा एवं शिकागो भाषण

 सन 1893 में स्वामी विवेकानंद जी द्वारा यात्रा शुरू की जो जापान के कई शहरों से होकर कनाडा से होते हुये अमेरिका के शिकागो  पहुंचे। जहां पर विश्व धर्म परिषद हो रही थी। स्वामी विवेकानंद जी उस धर्म परिषद में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे।

उस समय यूरोप अमेरिका के लोग भारत वासियों को बहुत ही हीन दृष्टि से देखते थे। सन 1893 में शिकागो सम्मेलन का स्वामी विवेकानंद जी का भाषण बेहद प्रसिद्ध रहा था और इस भाषा के माध्यम से उन्होंने भारतीय संस्कृति को दुनिया के सामने उजागर किया था।

inline single

शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में भर से विश्व गुरु आये थे। और अपने साथ अपने द्वारा तैयार किए गये भाषण पत्र एवं धार्मिक पुस्तक भी साथ में लाये थे। विवेकानंद जी शिकागो धर्म सम्मेलन सभा में धर्म का वर्णन करने के लिये स्वामी विवेकानंद जी गीता अपने साथ लेकर गये थे।

जैसे ही विवेकानंद जी ने अपने अध्यात्म ज्ञान के भाषण की शुरुआत की तो सभा में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति भाषण को गौर से सुनने लगा। और भाषण ख़त्म होते ही प्रत्येक व्यक्ति ने तालिया बजाना शुरू कर दी।

inline single

 दरअसल स्वामी विवेकानंद जी ने अपने भाषण की शुरुआत अमेरिकी भाइयों और बहिनों कहकर की थी। और इसके बाद उन्होंने वैदिक दर्शन का ज्ञान दिया और सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।

विवेकानन्द के भाषण से भारत की एक नयी छवि दुनिया के सामने बनी थी और आज भी स्वामी जी की अमेरिका यात्रा और शिकागो भाषण को लोगों द्वारा आज भी याद किया जाता है।

inline single

महावीर स्वामी का जीवन परिचय | स्वामी महावीर जयंती

श्री रामानुजन महान गणितज्ञ का जीवन परिचय | Indian Mathematician Ramanujan Biography Hindi

 रामकृष्ण मिशन की स्थापना

 स्वामी विवेकानंद जी ने 1 मई 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी और इस मिशन के अंतर्गत  नये भारत एवं श्रेष्ठ भारत का निर्धारित किया था और कई सारे स्कूल, कॉलेज एवं अस्पताल का निर्माण किया था।

रामकृष्ण मिशन के बाद विवेकानंद जी ने सन 1898 में वैलौर मठ की स्थापना की थी इसके अतिरिक्त दो अन्य मठो की स्थापना की थी।

inline single

 स्वामी विवेकानंद जी की किताबे

  1.  हिंदू धर्म 
  2. भक्ति योग 
  3. कर्म योग
  4.  प्रेम योग
  5.  ज्ञान योग
  6.  मेरा जीवन तथा ध्येय
  7.  जाति संस्कृति और समाजवाद
  8. ९ वर्तमान भारत
  9.  मेरी समर -नीति
  10.  जागृती का संदेश
  11.  भारतीय नारी
  12.  ईसा दूत ईसा 
  13.  शिक्षा
  14.  राज योग
  15.  मरणोत्तर जीवन 

मृत्यु

विवेकानंद जी की व्याख्यानो की प्रसिद्धि विश्व भर में है उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिन शुक्ल यजुर्वेद व्याख्या की और कहा कि एक और विवेकानंद चाहिए यह समझने के लिए इस विवेकानंद अब तक क्या किया।

उनके शिष्यों के अनुसार जीवन के अंतिम दिन 4 जुलाई 1902 को भी उन्होंने अपने ध्यान करने के दिनचर्या को नहीं बदला और प्रत: दो से तीन घंटे ध्यान किया और ध्यान अवस्था में ही समाधि ले ली। बेलूर में  गंगा तट पर चंदन की चिता पर उनका अंतिम  दाह संस्कार किया गया।

inline single

इसी गंगा तट के दूसरी ओर सोलह वर्ष पूर्व स्वामी विवेकानंद जी के गुरु रामकृष्ण परमहंस जी का अंतिम संस्कार किया गया था।

 उन्होंने अपने जीवन काल में लोगों को प्रेरित करने के लिए एक संदेश दिया था “उठो और जागो” अर्थात स्वयं जागकर दूसरों को जगाओ कहने का तात्पर्य है कि जब तक ना रुको तब तक उद्देश्य की पूर्ती ना हो जाये। और अपने जीवन को सफल बनाएं। इस प्रकार से स्वामी विवेकानंद जी जनमानस में सदा सदा के लिए अमर हो गये।

inline single
Share This Article
Follow:
Emka News पर अब आपको फाइनेंस News & Updates, बागेश्वर धाम के News & Updates और जॉब्स के Updates कि जानकारी आपको दीं जाएगी.
Leave a comment